| Format | Availability Status | Price |
|---|---|---|
| Paperback | In stock |
325.00 |
Publsiher: Astha Prakashan Varanasi
Publication Date: 22 Jun, 2015
Pages Count: 250 Pages
Weight: 300.00 Grams
Dimensions: 5.63 x 8.75 Inches
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About the Book:
पने आध्यात्मिक संक्रमण काल में जिन आध्यात्मिक युग पुरूषों का साथ मिला और जिनके आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा से इस मार्ग पर चला।जिनके कारण ज्ञान का सूत्र मिला और आगे बढ़ने की शक्ति मिली अगर उनके बारे में न लिखता तो मेरी अध्यात्म यात्रा और जो भी पुस्तकें लिखी वह अधूरी होती। आज कालञ्जयी पुस्तक मुझे पूर्णता प्रदान कर रहा है और पूर्ण संतुष्ट भी हूं। कालञ्जयी में जिन दस महापुरूषों के बारे में मैं लिखा इनका प्रभाव बचपन से मेरे जीवन पर पड़ा और आगे बढ़ने की शक्ति मिली। बस अनजान राह पर चल पड़ा। चलते-चलते एक से एक सिद्ध साधकों के दर्शन लाभ हुए और साथ में ज्ञान व साधना का रहस्य भी मिला और पूर्वजन्म के गुरुदेव का अपरोक्ष रूप से सानिध्य प्रेम और कृपा भी मिली। अगर उनकी कृपा न होती तो शायद मेरा जीवन भी एक सांसारिक की तरह जगत के विकास यात्रा करते अंत में समाप्त हो जाता। आज उस आध्यात्मिक चेतना को स्पर्श कर मौन हो गया हूं मैं। जीवन और जगत के रहस्य का ज्ञान हो चुका है। भौतिक-अभौतिक जगत के बीच जो प्राकृतिक आवरण है वह उस धुन्ध की तरह छट चुका है। एक आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रकाश चारो तरफ फैल चुका है।
इस पुस्तक में गुरुजी ने अपने जीवन को रूपांतरित करने वाले दस युगपुरुषों के सान्निध्य और आध्यात्मिक अनुभूतियों को इस तरह व्यक्त किया है कि यह साधकों के लिए एक जीवंत मार्गदर्शिका बन गई है। गुरुकृपा से प्राप्त इस ज्ञान ने संसार और आत्मा के बीच का आवरण हटा दिया है।
पंडित अरुण कुमार शर्मा
पंडित मनोज कुमार शर्मा जी का बायोडाटा