| Format | Availability Status | Price |
|---|---|---|
| Paperback | In stock |
350.00 |
Publsiher: Astha Prakashan Varanasi
Publication Date: 22 Jun, 2014
Pages Count: 325 Pages
Weight: 500.00 Grams
Dimensions: 5.63 x 8.75 Inches
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About the Book:
गुरूजी ने योग-तंत्र पर काफी पुस्तकें, लेख आदि लिखे जो समय-समय प्रकाशित होते रहे। स्वानुभव व अन्वेषण काल में जो अनुभव व ज्ञान प्राप्त किये उसे अपनी प्रांजल भाषा में लिपिबध्द किया। चूंकि योग और तंत्र की जटिल भाषा को सरल व सुबोध कर प्रस्तुत करने की अपनी विशेष शैली थी गुरुजी की व यही उनकी विशेषता रही। गुरुजी की काफी दिनों से इच्छा रही ज्योतिष पर पुस्तक लिखने की जो २००८ में कालपात्र नाम से पूर्ण हुआ। उनका कहना था कि ज्योतिष का सम्बन्ध जितना देश काल पात्र से है उतना ही योग और तंत्र साधना से भी है। गुरुजी का ज्योतिष शास्त्र पर पुस्तक लिखने का उद्देश्य था कि जन सामान्य व प्रबुध्द पाठकगण ज्योतिष शास्त्र से सम्बन्धित विषयों का ज्ञान हो तथा अपने जीवन में उसका सपयोग करें। गुरुजी ने योग-तंत्र के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र पर भी गहन शोध किया और सामान्य भाषा में प्रस्तुत करने का भरसक प्रयास भी किया। उनका कहना था कि वेदों के समान भारतीय ज्योतिष शास्त्र की प्राचीनता है और है महत्व। अथर्ववेद के ६५ ऋचाओं में ज्योतिष सम्बन्धित ज्ञान वर्णित है। देखा जाये तो सम्पूर्ण ज्योतिष शास्त्र सूर्य, चन्द्र और नक्षत्रों के सूक्ष्म अवलोकन पर ही आधारित है। भारतीय प्रज्ञा ने सर्वप्रथम नक्षत्रों तथा उनके संचरण और उनके ऊर्जा के प्रभाव को अपने खोज और शोध का आधार माना।
गुरुजी ने योग, तंत्र और ज्योतिष को सरल भाषा में समझाकर सामान्य जन तक पहुँचाया। उनकी पुस्तक "कालपात्र" ज्योतिष के गूढ़ ज्ञान को व्यावहारिक जीवन से जोड़ने का सार्थक प्रयास है।
पंडित अरुण कुमार शर्मा
पंडित मनोज कुमार शर्मा जी का बायोडाटा