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कृष्णम्: श्रीकृष्ण दर्शन और कथा प्रसंग (Paperback)



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ISBN-13: 9789384172114
Language: Hindi

This book is available in following formats:
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Paperback In stock
350.00

Publsiher: Astha Prakashan Varanasi

Publication Date: 16 Jun, 2023

Pages Count: 252 Pages

Weight: 380.00 Grams

Dimensions: 5.63 x 8.75 Inches


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About the Book:

योगमाया बोली- भगवन् आप साधारण नहीं हैं। आप जगत के युग पुरुष हैं। आपके द्वारा जगत में जो लीला हुई उसे जगत कभी भी विस्मृत नहीं कर सकता। कुरूक्षेत्र में आपके द्वारा अर्जुन को दिया हुआ ज्ञान वह गीता के रूप में सदैव शाश्वत रहेगा। उसे न अतीत विस्मृत कर पायेगा, न ही भविष्य। वह वर्तमान ही होगा। उसकी हर एक पंक्ति वर्तमान की होगी। गीता की एक-एक पंक्ति के श्लोक अमर हैं। क्योंकि गीता का हर श्लोक अट्ठारह है, गीता का सम्पूर्ण अध्याय भी अट्ठारह है। महाभारत का युद्ध भी लोग विस्मृत नहीं कर पायेंगे। क्योंकि वह भी युद्ध अट्ठारह दिन चला था। प्रभु आप भी तो श्री विष्णु के नौवें अवतार हैं। सभी के मूल में नौ है यानि शाश्वत। नौ अंक अपराजेय है। कितना बड़ा रहस्य है। एक से नौ अंक ब्रम्हाण्ड का मूल अंक है और अक्षरों, स्वर, प्राण और व्यर्जन का विस्तार...। पूरे ब्रम्हाण्ड का सृष्टिक्रम और विस्तार इनमें समाहित है। इसलिए कृष्ण का नाम शाश्वत है। लेकिन श्रीकृष्ण का नाम तभी पूर्ण होगा जब राधा का नाम जुड़ा होगा। कृष्ण, राधा के बिना अधूरे हैं और राधा, कृष्ण के बिना।

द्रौपदी के करूण शब्द ही तो थे, हे ! गोवन्दि कहां हो ... मैं ही तो था उसकी रक्षा करने। मीरा ने जब विष का प्याला थामा उसे पता था कि प्याला में विष है बस वह यही तो बोली, हे ! कृष्ण... और उस विष को पी लिया। उस पल मैं ही तो था उसकी रक्षा करने के लिए। सूरदास अंधे थे उनकी लाठी कौन थामता था... वह भी तो मैं ही था। रसखान के आंसू कौन पोंछा। मैं ही पोछा, जब उनके साथ था, तुम्हारे पास भी हूं, एक बार स्मरण कर के देखो... मैं किसी न किसी रूप अवश्य तुम्हारे पास रहूंगा।

मैं अव्यक्त होते हुए भी व्यक्त हूं। मैं सब जगह हूं। मेरा हृदय तो जगत में आज भी धड़कता है... अपने सखा के लिए, अपने भक्त के लिए।

कृष्णम् शरणं ममः

इस अंश में कृष्ण के प्रति भक्ति की गहन अनुभूति है, जो बताती है कि वे सभी युगों में भक्तों के साथ रहकर उनकी रक्षा करते हैं। यह पाठकों को विश्वास दिलाता है कि कृष्ण आज भी हर भक्त के साथ हैं।

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