मृत्यु एक मंगलकारी क्षण है और एक आनन्दमय अनुभव है। मगर हम अपने संस्कार, वासना, लोभ आदि के कारण उसे दारुण और कष्टमय बना देते हैं। इन्हीं सबका संस्कार हमारी आत्मा पर पड़ा रहता है, जिससे हम मृत्यु के more...
सब कुछ सुनने के बाद रामेश्वर पाण्डेय सिर उठाकर नीले आकाश की ओर शून्य में न जाने क्या देखते हए गम्भीर स्वर में बोले- है शर्माजी है। क्या? आतुर हो उठा मैं।'आवाहन' ।आवाहन, समझा नहीं।उच्चस्तरीय दिव्य more...