तीसरा नेत्र और उसकी उपलब्धियाँ- तीसरा नेत्र के अनावृत्त होने पर क्या उपलब्ध होता है? मेरे इस प्रश्न के उत्तर में पहले तो हरिसिद्ध स्वामी मुस्कराये फिर कहने लगे- तीसरा नेत्र का केन्द्र आज्ञाचक्र है। more...
पने आध्यात्मिक संक्रमण काल में जिन आध्यात्मिक युग पुरूषों का साथ मिला और जिनके आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा से इस मार्ग पर चला।जिनके कारण ज्ञान का सूत्र मिला और आगे बढ़ने की शक्ति मिली अगर उनके बारे more...
प्रस्तुत संग्रह का शीर्षक है 'रहस्य'। 'रहस्य' इसलिए है कि उसके अन्तर्गत जो भी कथाएँ संकलित की गयी है। वे सभी किसी न किसी रूप में स्वयं में रहस्यों से भरी हुई है। सम्भव है उन्हें पढ़कर पाठकों के मन more...
योगमाया बोली- भगवन् आप साधारण नहीं हैं। आप जगत के युग पुरुष हैं। आपके द्वारा जगत में जो लीला हुई उसे जगत कभी भी विस्मृत नहीं कर सकता। कुरूक्षेत्र में आपके द्वारा अर्जुन को दिया हुआ ज्ञान वह गीता के more...
मृत्यु एक मंगलकारी क्षण है और एक आनन्दमय अनुभव है। मगर हम अपने संस्कार, वासना, लोभ आदि के कारण उसे दारुण और कष्टमय बना देते हैं। इन्हीं सबका संस्कार हमारी आत्मा पर पड़ा रहता है, जिससे हम मृत्यु के more...
सब कुछ सुनने के बाद रामेश्वर पाण्डेय सिर उठाकर नीले आकाश की ओर शून्य में न जाने क्या देखते हए गम्भीर स्वर में बोले- है शर्माजी है। क्या? आतुर हो उठा मैं।'आवाहन' ।आवाहन, समझा नहीं।उच्चस्तरीय दिव्य more...
समस्त विषय और उससे संबंधित समस्त भाव, समस्त विचार और समस्त अनुभव जब समाप्त हो जाते हैं और केवल शेष रह जाता है विषयी अनुभोक्ता और साक्षी। उस साक्षी की खोज और उपलब्धि ही एकमात्र अध्यात्म है और उस more...
अपने पचास वर्ष की आध्यात्मिक अनुभव कथा के यात्राकाल में कब किस समय और किस मोड़ पर क्या अनुभव हुए मुझे और वे अनुभव कब और किन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए? इसका क्रमबद्ध विवरण मेरी स्मृति में नहीं more...
प्रस्तुत पुस्तक आकाशचारिणी जो मेरे जीवन का अनुभवपूर्ण व सत्य घटनाओं पर आधारित कथा संग्रह है। प्रस्तुत कथा संग्रह में आप जो कुछ भी पढ़ेंगे, निश्चय ही कुछ प्रसंगों और घटनाओं पर आपको सहसा विश्वास नहीं more...